थाई-भारतीय संबंध: क्या है खास?
जब भारत और थाईलैंड की बात आती है, तो दो देशों के बीच सिर्फ सीमा नहीं, बल्कि कई सालों का दोस्ताना भरोसा भी जुड़ा है। दोनों देश एक‑दूसरे को पड़ोसी नहीं, पर व्यापार, संस्कृति और राजनीति में काफ़ी करीब हैं। इस पेज पर हम देखेंगे कि कैसे ये रिश्ते जन्मे, अब कहाँ हैं और आगे क्या हो सकता है।
इतिहास और राजनयिक कदम
भारत‑थाई संबंधों की जड़ें प्राचीन समय से हैं। पुरानी राजतिलक कहानियों में दोनों राजाओं के बीच द्वीप‑समुद्र की यात्रा का ज़िक्र मिलता है। आजादी के बाद 1947 में भारत ने थाईलैंड को एक मित्र राष्ट्र माना और दो‑तरफ़ा दूतावास खोल दिया। 1950‑60 के दशक में शीत युद्ध के तनाव के बीच भी दोनों ने अपनी राजनयिक बातचीत को जारी रखा।
1990‑के बाद आर्थिक उदारीकरण के साथ, दोनों देशों ने कई समझौते किए। 1999 में “भारत‑थाईलैंड द्विपक्षीय एग्रीमेंट” ने व्यापारिक बाधाओं को कम किया और निवेश को बढ़ावा दिया। तब से हर पांच साल में एक द्विपक्षीय शिखरयात्रा होती है, जहाँ प्रीमियर और प्रधानमंत्री मिलकर नए क्षेत्र जैसे ऊर्जा, डिजिटल तकनीक और रक्षा पर चर्चा करते हैं।
वर्तमान व्यापार और पर्यटन
आज थाई‑भारतीय व्यापार लगभग 6 बिलियन डॉलर तक पहुँच चुका है। भारतीय कंपनियों का मोटरस्पोर्ट, फार्मा और IT में बड़ा हिस्सा है, जबकि थाईलैंड से इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटो पार्ट्स और खाद्य पदार्थ (मुख्यतः चावल, फल) आते हैं। दोनों देशों ने “फ्री‑ट्रेड एग्रीमेंट” की बात शुरू कर दी है, जिससे आगे का व्यापार और बढ़ेगा।
पर्यटन में भी काफी उछाल है। हर साल लाखों भारतीय थाईलैंड आते हैं, खासकर बैंकोक, फ़ुकेट और अक्सर द्वीप‑शहर। थाईलैंड की सस्ते होटल, समुद्र तट और थाई खाना भारतीय यात्रियों को पसंद आता है। उल्टा, थाई लोग भी भारतीय मंदिर, योग रिट्रीट और हिमाचल के पहाड़ों की ओर आकर्षित होते हैं। इस दो‑तरफ़ा पर्यटन से दोनों देशों की अर्थव्यवस्था को सीधा लाभ मिलता है।
सांस्कृतिक आदान‑प्रदान भी कम नहीं है। थाई फ़िल्म फेस्टिवल में भारतीय फिल्में, और बॉलीवुड में थाई नर्तकियों के गेस्ट डांस का मज़ा दिखता है। साथ ही, बौद्ध धर्म की जड़ें थाईलैंड में गहरी हैं, और भारत में कई थाई बौद्ध विद्यालय चल रहे हैं। ये छोटे‑छोटे मिलन बड़े दोस्ती का आधार बनाते हैं।
भविष्य के बारे में सोचें तो दोनों देशों को कई मौके मिलते हैं। ऊर्जा के क्षेत्र में भारत ने सोलर प्रोजेक्ट और थाईलैंड में हाई‑स्पीड रेल के बारे में बात शुरू कर दी है। स्वास्थ्य‑टेक, एजुकेशन एक्सचेंज और स्टार्ट‑अप सहयोग भी तेज़ी से बढ़ रहा है। अगर दोनों सरकारें और व्यापारियों ने इस गति को बनाए रखा, तो थाई-भारतीय संबंध अगले दस साल में और भी मज़बूत हो सकते हैं।
तो संक्षेप में, थाई-भारतीय संबंध सिर्फ सिफ़र कागज़ पर नहीं, बल्कि हर रोज़ के व्यापार, यात्रा और संस्कृति में जीवंत हैं। इस दोस्ती को समझ कर आप दोनों देशों के बीच के अवसरों को पकड़ सकते हैं और एक समृद्ध भविष्य की ओर कदम बढ़ा सकते हैं।

थाई लोग भारत और भारतीयों के बारे में क्या सोचते हैं?
थाई लोग भारत और भारतीयों के प्रति काफी सम्मान और अद्भुत विचार रखते हैं। उन्हें लगता है कि भारतीय संस्कृति अत्यंत विविध और समृद्ध है, जिसमें उन्हें बहुत आकर्षण होता है। वे भारतीय खाना, संगीत और बॉलीवुड फिल्मों के दीवाने हैं। थाई लोग अक्सर भारतीयों की अतिथि सत्कार प्रवृत्ति की सराहना करते हैं। तो दोस्तों, थाई लोगों का हमारे देश और लोगों के प्रति ये सकारात्मक दृष्टिकोण हमें गर्व महसूस कराता है।
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