विपक्ष को मिली बड़ी सफलता, चुनाव में हुई गड़बड़ी पर अब राम नाईक ने कर दिया बड़ा ऐलान

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कम मतदान परसेंटेज तथा ईवीएम पर मचे बवाल के बीच राज्यपाल का बड़ा बयान विपक्ष के नेताओं को थोड़ा शांत कर सकता है. निकाय चुनाव पर राज्यपाल राम नाईक ने अपने बयान में कहा कि राज्य निर्वाचन आयुक्त ने कहा है EVM शिकायतों की जांच होगी. गड़बड़ी और घोटाले की बात सामने आई तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

लोकसभा और विधानसभा में भी ऐसी शिकायतें आयीं थीं लेकिन शिकायतों को कोई सिद्ध नहीं कर सका था, कल निर्वाचन आयुक्त से कहा हर शिकायत की जांच करें, जांच रिपोर्ट की कॉपी मुझे भी सौंपे. उन्होंने कहा कि 5 नगर निगम, 5 नगर पंचायत में सर्वाधिक वोटिंग जहां हुई है वहां के अधिकारियों को सम्मानित करूंगा.

गौरतलब है कि लाखों लोगों का नाम वोटर लिस्ट से गायब थे जबकि उनके पास वोटर आईडी और आधार प्रमाण पत्र मौजूद थे. आखिर यह कैसे हुआ. पहले चरण के वोटिंग में इतनी बड़ी सख्या में शिकायत नहीं आई थी. इतनी बड़ी चुक क्या एक साजिश है? या सिर्फ एक मानव की गलती या कुछ और इसपर जवाब तो चुनाव आयोग देगा. लेकिन राजनीतिक पार्टियां इसे साजिश से जोड़ कर देख रही है.

निकाय चुनाव में प्रशासन की बढ़ी लापरवाही देखने को मिली है. वोटर लिस्ट से आम वोटरों की बात छोड़िए कई विधायक, सांसद, बड़े अधिकारीयों का नाम भी वोटर लिस्ट से गायब था. चमरौवा से सपा विधायक नसीर खां का नाम मतदाता सूची से गायब हो गया, इसके बाद हंगामा खड़ा हो गया. इसके अलावा पूर्व मंत्री आजम खां के परिवार के अन्य सदस्यों के नाम भी मतदाता सूची से गायब थे. रामपुर में तमाम मुहल्ले के हजारों वोटरों के नाम लिस्ट से गायब होने के बाद लोग वोट डालने से वंचित रह गए.

देवरिया से बीजेपी सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री कलराज मिश्र और प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) सुलखान सिंह का नाम भी वोट न दे पाने वालों में शामिल है. इसके अलावा मतदाता सूची में गड़बड़ी के कारण लखनऊ के तीन बार मेयर रह चुके दाऊजी गुप्ता भी वोट नहीं डाल सके. वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रस्तावक रहे वीरभद्र निषाद का नाम भी मतदाता सूची से गायब रहा. वोटर लिस्ट से नाम गायब होने के बाद उन्होंने कहा कि इस मामले की शिकायत वो डीएम और राज्य निर्वाचन आयुक्त एसके अग्रवाल से करेंगे.

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