WhatsApp लाया धमाकेदार फीचर, अब एक साथ 4 लोग करेंगे वीडियो कॉलिंग
— February 7, 2018दुनिया का सबसे बड़ा सोशल चैट ऐप WhatsApp अब घमाकेदार फीचर के साथ आ रहा है. जिसके बाद अब वीडियो…
यूपी में उपचुनाव को सेमी फाइनल के तौर पर देखा जा रहा है क्योंकि इस चुनाव में बसपा ने अपने प्रत्याशी उतारने से पहले ही इंकार कर चुकीं है. अखलेश यादव ने भी गठबंधन को लेकर हरी झंडी दे दी है. चुनाव आयोग ने 11 मार्च को वोटिंग की तारीख मुकर्रर कर दी है. सपा चाहती है उपचुनाव में बीजेपी को हराकर आने वाले लोकसभा चुनाव में मोदी को करारा जवाब दिया जा सकता है. इधर बीजेपी तारीखों के ऐलान से पहले ही अपनी रणनीति बनाने में जुटी है.
भाजपा के लिए यह चुनाव इस लिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि अकेले भाजपा को 280 सीटें जितने वाली बीजेपी उपचुनावो में लगातार हो रही हार के बाद महज 273 सीटें लोकसभा मे रह गई हैं. अगर इन सीटों पर भी भाजपा हारती है तो बीजेपी के से पूर्ण बहुमत का तमगा छिन जायेगा.
उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव के बाद अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के इस्तीफे से खाली हुई लोकसभा सीटों पर 11 मार्च को उपचुनाव होगा. इसके नतीजे 14 मार्च को आएंगे.
सपा के लीये यह चुनाव जीतना कितना महत्वपूर्ण है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सपा के राषट्रीय अध्यक्ष औऱ यूपी के पूर्व सीएम अपने धुर विरोध मायावती के साथ से किसी तरह के परहेज से इनकार कर एक नये राजनीतिक समीकरण का संकेत दे दिया है. अगर माया ने भी अखिलेश के साथ आने का फैसला किया तो हालात कुछ और हो सकते हैं.
आपको बता दें कि गुरूवार को ही कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने सभी समान विचार वाले दलों को एक साथ आकर भाजपा के खिलाफ गठबंधन बनाने का संकेत दिया था. ऐसे में अगर सोनिया की ये पहल काम कर गई तो बीजेपी के लिए बहुत मुशिकल हो फूलपुर और गोरखपुर से शुरू हुई तो राजनीति काफी दिलचस्प हो सकती है.
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