इन 10 टैटू मैन को देखकर आप अपने शरीर पर टैटू लगवाना भूल जाएंगे…
— December 28, 2017लाइफस्टाइल: आजकल टैटू बनवाना एक ट्रेंड बन गया है. और आज लोग इसे शौक से अपने शरीर पर लगवाते हैं….
हार के बाद हार्दिक पटेल ने मीडिया के सामने अपना पक्ष रखा. उन्होंने सीधे-सीधे हार के लिए ईवीएम को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा गुजरात की जनता को अभी बहुत ज्यादा जागरूक होने की जरूरत है. जहां जीत का अंतर 1,000 से 2,000 तक रहा है, वहां ईवीएम बड़ा मुद्दा रहा है. अहमदाबाद, सूरत और राजकोट में जीत का अंतर 250 से 300 तक रहा है. इससे ईवीएम पर सवाल खड़ा होता है. मैंने जिस-जिस विधानसभा को लेकर ट्वीट किया था, वहां 200 या 250 वोटों के अंतर से ही बीजेपी और कांग्रेस जीती है. सूरत की वारछा रोड सीट पर 1 लाख पटेल वोटर हैं, लेकिन वहां इतना क्राउड होने के बाद भी हारे तो यह सवाल है.
“हमारा आंदोलन वापस नहीं होगा. बीजेपी पैसे के जोर से जीती है. मैंने कहा था कि ईवीएम की मदद से बीजेपी 100 से अधिक सीट लेकर आएगी, जबकि कांग्रेस को 80 से 82 सीट मिलेंगी. क्या बीजेपी सत्ता में बैठ गई तो करोड़ों लोगों का आंदोलन गलत हो गया? यह सही है कि जीतने वाला सिकंदर होता है, लेकिन इसे जीत नहीं कह सकते. हमें वोट मिलने के बाद भी यह सोचना पड़ता है कि हमारा वोट सही से पड़ा या फिर नहीं. यह कैसा लोकतंत्र है.- जापान, इजरायल जैसे देश अपने देश का चुनाव ईवीएम के भरोसे नहीं करते, लेकिन हम ऐसा करते हैं, यह सोचने की बात है. सूरत, राजकोट और अहमदाबाद में बीजेपी ने ईवीएम से छेड़छाड़ की है.”
“गुजरात की जनता जागरूक हुई है, लेकिन अभी बहुत जागरूक होने की जरूरत है. मैं 23 साल का हूं, अपने राजनीतिक भविष्य की बात बाद में करेंगे. मैं संघर्ष करूंगा, बुजदिलों की तरह घर में नहीं बैठूंगा. अगले 5 दिनों में मैं फिर जनसंपर्क शुरू करूंगा. शहर के लोगों ने क्या किया यह समझ नहीं आया है. गांवों के लोगों ने हमारा समर्थन किया है. मैं बीजेपी को दिल से कोई अभिनंदन नहीं करता. बीजेपी ने ईवीएम से छेड़छाड़ करके जीत हासिल की है. बीजेपी ने इसलिए 100 सीटें जीतीं ताकि कोई ईवीएम पर शंका न करे.”
“मैंने तीन दिन पहले ही कहा था कि ईवीएम में गड़बड़ी शुरू हो सकती है. गुजरात के 6 करोड़ लोगों में से 5 करोड़ लोग आंदोलन चला रहे हैं. जहां मूवमेंट था, वहां बीजेपी जीतती है तो यह सोचने की बात है. जहां रीकाउंटिंग हुई है, वहां बीजेपी हार गई. इससे पता चलता है कि ईवीएम में खामी है. हमारे शरीर में जब डॉक्टर चेंज कर सकते हैं तो इंसान की बनाई ईवीएम में कोई बदलाव क्यों नहीं हो सकते.”
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