इस्तीफा देने के बाद छलका मायावती का दर्द, कहा अगर मैं…!

बहुजन समाजवादी पार्टी मुखिया मायावती ने राज्यसभा सांसद के पद से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने अपना इस्तीफा सभापति को तीन पन्नों की चिट्ठी के साथ सौंपा है. मंजूर होने के बाद ही उनकी सदस्यता समाप्त होगी. बता दें कि मायावती का कार्यकाल अगले साल अप्रैल तक का था. मंगलवार को सदन में मायावती दलितों के मुद्दे पर बोल रही थी लेकिन उन्हें रोक दिया गया. जिसके बाद वे इस्तीफा देने का ऐलान सदन से बाहर निकल गई.

इस्तीफा देने के बाद मायावती ने कई बड़े बयान दिए है. जिसे उनका दर्द छलकाना भी कहा जा सकता है. उन्होंने कहा, “मैं दलित समाज से हूं और मुझे अपने समाज की बात नहीं रखने दिया जा रहा है, इसीलिए राज्यसभा से इस्तीफा दिया है.” उन्होंने यह भी कहा, “जब सत्ता पक्ष मुझे अपनी बात रखने का भी समय नहीं दे रहा है तो मेरा इस्तीफा देना ही ठीक है. अफसोस के साथ कहना पड़ा रहा है कि मान्यीय सभापति ने सत्तापक्ष के लोगों को शांत कराने के बजाय मुझे ही बैठने के लिए कह दिया. संसद सदस्यों के साथ BJP के मंत्रीगण खड़े होकर मुझे रोकने लगे और अवरोध पैदा करते रहे. बावजूद इसके मैंने पूरी बात रखने की कोशिश.”

bsp चीफ एन कहा,”हमारी पार्टी द्वारा कार्य स्थगन का नोटिस दिया गया था. इसमें दलितों पर हो रहे अत्याचार का जिक्र किया गया था. आज मुझे 11 बजे सदन में इसपर बोलने की अनुमति मिली. 3 मिनट का समय दिया गया. मैंने कहा यह 3 मिनट में बात रखने वाला मामला नहीं है. संसद सदस्यों के साथ BJP के मंत्रीगण खड़े होकर मुझे रोकने लगे और अवरोध पैदा करते रहे. बावजूद इसके मैंने पूरी बात रखने की कोशिश की. अगर मैं सदस्य के तौर पर बोल नहीं सकती हूं तो सदन में बने रहने का कोई औचित्य नहीं है.”

file photo

मायावती ने यह भी कहा है, “अगर मैं सदन में दलितों के हितों की बात नहीं उठा सकती तो मेरे राज्यसभा में रहने पर लानत है.मैं अपने समाज की रक्षा नहीं कर पा रही हूं. अगर मुझे अपनी बात रखने का मौका नहीं दिया जा रहा है तो मुझे सदन में रहने का अधिकार नहीं है. मैं सदन की सदस्यता से आज ही इस्तीफा दे रही हूं.” उन्होंने सदन में यह कहा था, “मैं इस सदन में दलितों और पिछड़ों की आवाज बनने और उनके मुद्दे उठाने के लिए आई हूं. लेकिन जब मुझे यहां बोलने ही नहीं दिया जा रहा, तो मैं यहां क्यों रहूं.”

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