अपनी यादें छोड़ चला गया देश का यह प्रसिद्ध साहित्यकार, कवि और समालोचक…

न्यूज़ डेस्क: प्रसिद्ध साहित्यकार, कवि और समालोचक दूधनाथ सिंह का बीते गुरुवार मध्यरात्रि निधन हो गया. दूधनाथ सिंह प्रोस्टेट ग्लैंड के कैंसर से करीब एक साल से पीड़ित थे, जिस कारण उनकी मौत हुई. बीते गुरुवार रात लगभग 12 बजकर 15 मिनट पर इलाहाबाद के एक निजी अस्पताल में दूधनाथ सिंह ने अपनी अंतिम सांस ली. प्रसिद्ध कथाकार और जनवादी लेखक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष दूधनाथ सिंह को 4 जनवरी से इलाहाबाद के एक निजी अस्पताल में भर्ती थे.

पारिवारिक सूत्रों के मुताबिक प्रोस्टेट कैंसर से पीड़ित दूधनाथ सिंह को बीते बुधवार रात अचानक दिल का दौरा पड़ा था. जिस कारण उन्हे वेंटिलेटर पर शिफ्ट कर दिया गया था. जहां उन्होंने बीते गुरुवार मध्यरात्रि में अंतिम सांस ली. बता दे कि पिछले साल अक्तूबर माह में तकलीफ बढ़ने पर दूधनाथ सिंह को AIIMS, नई दिल्ली में दिखाया गया. तब उन्हें इस जांच से प्रोस्टेट कैंसर की बात सामने आई जिसके बाद उनका वहीं इलाज चला.

गत 26 दिसम्बर को उन्हें इलाहाबाद लाया गया था. कुछ दिन बाद तबीयत बिगड़ने पर उन्हें इलाहाबाद एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. तब से उनका वहीं इलाज चल रहा था. उनकी पत्नी निर्मला ठाकुर का निधन 2 साल पहले हो चुका था. मूल रूप से दूधनाथ सिंह बलिया के रहने वाले है. इन्होने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एम ए किया और यहीं हिन्दी के अध्यापक नियुक्त हुए. 1994 में सेवानिवृत्त होने के बाद से लेखन और संगठन में निरंतर सक्रिय रहे.

स्वर्गीय सिंह ने आखिरी कलाम, लौट आ ओ धार, निराला आत्महंता आस्था, सपाट चेहरे वाला आदमी, यमगाथा, धर्मक्षेत्रे-कुरुक्षेत्रे जैसी कालजयी कृतियों की रचना की थी. नकी गिनती हिन्दी के चोटी के लेखकों और चिंतकों में होती थी.

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