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यूपी निकाय चुनाव में समाजवादी पार्टी की इतनी बड़ी हार के बाद अब समाजवादी पार्टी में विरोध के स्वर सोशल मीडिया में दिखने लगे है. कोई इसे अन्धरुनी लड़ाई का अंजाम बता रहा है तो कोई अखिलेश यादव के रणनीती की असफलता. जहां एक तरफ याेगी की अगुवाई में सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा ने शानदार जीत हासिल की वहीं दूसरी तरफ बसपा काे भी बड़ी जीत मिली है.
16 सीटाें पर हाे रहे मेयर पद के लिए चुनाव में सपा का खाता भी नहीं खुला. विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद सपा-कांग्रेस ने निकाय चुनाव में अपने अलग अलग उम्मीदवार खड़े किए थे. इसके बावजूद भी इन पार्टियाें काे काेई फायदा नहीं हुआ आैर दाेनाें पार्टियां बुरी तरह हारीं.
समाजवादी पार्टी का अध्यक्ष बनने के बाद अखिलेश यादव की ये दूसरी बड़ी हार है. आपको बता दें कि अखिलेश यादव ने निकाय चुनाव में प्रचार भी नहीं किया था. इस चुनाव में भी पार्टी आशा के अनुरूप भी प्रर्दशन नहीं कर पाई. यही कारण है कि इसके काफी विपरीत परिणाम आए हैं.
पार्टी में अखिलेश यादव आैर शिवपाल यादव में विवाद पहले से ही चल रहा है. सपा में साइड किए जाने से नाराज शिवपाल यादव नई पार्टी बनाने की भी धमकी दे चुके हैं. शिवपाल ने खुलेआम कई निर्दलीय प्रत्याशियों का समर्थन किया था. अब जब समाजवादी पार्टी हार गई है तो सवाल जरुर उठेगा कि क्या अखिलेश यादव अध्यक्ष पद की गद्दी एक बार फिर चाचा शिवपाल के हाथों में सौपेंगे या समाजवादी पार्टी अखिलेश के नेतृत्व में ही 2019 लोकसभा का चुनाव लड़ेगी. आप भी अगर समाजवादी पार्टी के कार्यकर्त्ता है तो कमेंट में जरुर बताये कि क्या अखिलेश यादव को अध्यक्ष का पद छोड़ देना चाहिए?
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