योगी सरकार का बड़ा फैसला: राशन कार्ड धारकों को अब गेहूं और चावल नहीं मिलेगा!

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योगी सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए अब राशन कार्ड धारकों को गेहूं और चावल नहीं देकर सीधे उनके बैंक खाते में इसके लिए रुपये भेजने का फैसला लिया है. काला बाजारी रोकने के लिए प्रदेश की सरकार यह कवायद करने जा रही है. सभी को पेट भर भोजन उपलब्ध कराने के लिए जनवरी 2016 से राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम लागू कर दिया गया है.

इसके बाद से शहरी क्षेत्र में तीन लाख और ग्रामीण क्षेत्र में दो लाख सालाना आय वाले परिवारों को दो रुपये किलो गेहूं और तीन रुपये किलो चावल उपलब्ध कराया जा रहा है. प्रत्येक व्यक्ति को प्रत्येक माह पांच किलो गेहूं और चावल दिया जा रहा है. सरकार ने कालाबाजारी रोकने के लिए कई तरह के प्रयास किए लेकिन इसमें कोई सफलता नहीं मिल पाई.

राशन कार्ड को आधार से लिंक करने का काम भी नेटवर्क की समस्या से जोर नहीं पकड़ पा रहा है. लिहाजा सरकार ने राशनकार्ड धारकों के खाते में खाद्यान्न की कीमत भेजने की योजना बनाई है. कार्ड धारकों के खाते में बाजार की कीमत के आधार पर प्रत्येक माह की पांच तारीख को अनुदान राशि भेज दी जाएगी.

डायरेक्ट बेनीफिट ट्रांसफर (डीबीटी) सिस्टम का पायलट प्रोजेक्ट प्रदेश के फैजाबाद और बागपत जिले के एक-एक तहसील में शुरू किया जाना है। यहां सफलता मिलने पर यह योजना सूबे के सभी जिलों में लागू कर दी जाएगी. जिला पूर्ति अधिकारी संजीव कुमार ने बताया कि राशनकार्ड धारकों को खाद्यान्न के बदले उसकी कीमत खाते में भेजने के लिए पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया जा रहा है.


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