पढ़े 26/11 के इन वीर शहीदों की कहानी…

9 साल बीत चूका है पर वो काला दिन आज भी लोगों के जेहन में जब आता है तो मन सिहर सा जाता है. 26 नवंबर 2008, वो कला दिन जिस दिन मुंबई में सीएसएमटी रेलवे स्टेशन, लियोपोल्ड कैफे, ओबेरॉय ट्राइडेंट होटल, ताज महल पैलेस होटल, नरीमन हाउस और कामा और अल्बलेस अस्पताल सहित शहर के प्रमुख स्थानों पर 10 आतंकवादियों ने हमला कर कर दिया था. कुछ ऐसे भारत के शपुत थे जो अपने प्राणों की चिंता ना करते हुए लोगो की जान बचाते हुए शहीद हो गए थे. आज इस हमले की 9 वीं वर्षगांठ है, DailyUpNews उन वीर शहीदों को नमन करता है

आज आपको उन पांच रियल हीरो के बारे में बताने जा रहे हैं जो लोगों की रक्षा करते करते शहीद हो गए थे.

#1. तुकाराम ओम्बले

तुकाराम ओम्बले मुंबई पुलिस में कार्यरत एक सब पुलिस इंस्पेक्टर थे. इनकी मृत्यु आतंकवादी से लड़ते हुए 26 नवम्बर को 2008 के मुम्बई आतंक वादी हमले में हुई थी , इन्होंने ने अपनी जान की परवाह ना करते हुए अजमल कसाब को जीवित पकड़ा लेकिन उसी वक़्त अजमल कसाब ने उन्हें गोलियों से भून दिया था इस कारण तुकाराम की मौके पर ही मौत हो गई थी. ओम्बले एक इस साहसपूर्ण कार्य के लिए भारत सरकार इस वीर को इनके वीरता के लिए अशोक चक्र से नवाजा गया था.

#2. हेमंत करकरे

मुंबई आतंकवाद विरोधी दस्ते (एटीएस) के प्रमुख हेमंत करकरे अपने दादर निवास पर अपनी पत्नी के साथ रात्रि भोजन कर रहे थे तब ही उनको इनफॉर्मर ने बताया की मुंबई सीएसएमटी रेलवे स्टेशन पर कुछ आतंकियों ने हमला कर दिया है पहुंचने के बाद उन्हें बताया गया कि आतंकवादी कामा और अल्बलेस अस्पताल की तरफ जा चुक हैं. करकरे अपने अन्य अधिकारियों के साथ काम अस्पताल पहुँच जाते हैं. उसी समय उनको खबर मिली कि कॉर्पोरेशन बैंक के एटीएम के पास आतंकी एक लाल रंग की कार के पीछे छिपे हुए हैं. वहां तुरंत पहुंचे तो आतंकी फायरिंग करने लगे.इसी दौरान आतंकियों की ओर से जवाबी फायरिंग में तीन गोली इस बहादुर जवान को भी लगी, जिसके बाद वह शहीद हो गए.26 नवंबर 2009 में इस शहीद की शहादत को सलाम करते हुए भारत सरकार ने मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया.

#3. अशोक कामटे

अशोक कामटे के के क्षेत्र में यह हमला नहीं हुआ था लेकिन फिर भी वो अपने सहस का परिचय देते हुए इस आतंकवादी हमले को डट का मुकाबला किया था. अशोक कामटे को जब इस हमले की सुचना मिली थी तब वे घटनास्थल के लिए तुरंत रवाना हो गए सीएसएमटी तक पहुंचने के बाद उन्होंने एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे और अन्य पुलिस अफसरों से मुलाकात की और सालसकर और करकरे के साथ एक जीप बुलवाया. जब उनकी जीप पर आतंकवादियों द्वारा हमला किया गया था तो जीप में केवल एक ही थे गोलियों की आवाज से वह मारा गया, इसी बीच आतंकी के गोली से ये शहीद हो गएँ 26 जनवरी 2009 को उन्हें मरणोपरांत अशोक चक्र का पुरस्कार मिला.

#4. विजय सालस्कर

विजय सालस्कर मुंबई पुलिस में सेवारत एक वरिष्ठ पुलिस इंस्पेक्टर और एनकाउंटर स्पेशलिस्ट थे. इन्हें अलग अलग मुठभेड़ों में 75-80 अपराधियों को मार गिराने का श्रेय दिया जाता है – जिसमें से अधिकांश अरुण गवली गिरोह के सदस्य थे. सालस्कर नवंबर 2008 के मुंबई हमलों में आतंकवादियों से लड़ते हुए शहीद हुए.26 जनवरी 2009 को उन्हें मरणोपरांत अशोक चक्र का पुरस्कार मिला.

#5. संदीप उन्नीकृष्णन

संदीप उन्नीकृष्णन भारतीय सेना में एक मेजर थे, जिन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड्स (एनएसजी) के सबसे होनहार कमांडो में से एक थे. वे नवम्बर 2008 में मुंबई के हमलों में आतंकवादियों से लड़ते हुए शहीद हो गए थे. उनकी बहादुरी के लिए उन्हें 26 जनवरी 2009 को भारत के सर्वोच्च शांति समय बहादुरी पुरस्कार, अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था.

“उपर मत आना, मैं उन्हें संभाल लूंगा”, ये संभवतया उनके द्वारा उनके आदमियों को कहे गए अंतिम शब्द थे, ऐसा कहते कहते ही वे ऑपरेशन ब्लैक टोरनेडो के दौरान मुंबई के ताज होटल के अन्दर सशस्त्र आतंकवादियों की गोलियों का शिकार हो गए.

बाद में, एनएसजी के सूत्रों ने स्पष्ट किया कि जब ऑपरेशन के दौरान एक कमांडो घायल हो गया, मेजर उन्नीकृष्णन ने उसे बाहर निकालने की व्यवस्था की और खुद ही आतंकवादियों से निपटना शुरू कर दिया. आतंकवादी भाग कर होटल की किसी और मंजिल पर चले गए और उनका सामना करते करते मेजर उन्नीकृष्णन गंभीर रूप से घायल हो गए और वीरगति को प्राप्त हुए.

यह भी पढ़ें:

अखिलेश ने कुछ इस तरह ट्वीट कर “डिजिटल इंडिया” पर ली चुटकी…

भारतीय आर्मी के 10 फाडू स्लोगन्स को पढ़कर आपको भारतीय होने पर गर्व होगा…


इस न्यूज़ को शेयर करे तथा कमेंट कर अपनी राय दे.

Tagged with: 26/11 hemant karakare mumbai attack tukaram omble

Leave a reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *