लखनऊ: एक तरफ जहां यह कहा जाता है कि भारतीय जनता पार्टी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के कहने पर ही काम करती हैं. तो वहीं अब यह खबर आ रही है है कि केंद्र की बीजेपी सरकार ने आरएसएस को ही एक तगड़ा झटका दे दिया है. एक साल तक चलने वाले पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जन्म शताब्दी समारोह के दौरान लिए गए सरकार के इस फैसले को जान कई नेता हैरान भी रह सकते हैं. सूत्रों मिली जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार ने आरएसएस के पहले प्रकाशन ‘राष्ट्र धर्म’ को एडवर्टिजमेंट नहीं देने का फैसला लिया है.
मालूम हो कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय भी इस इस मैगजीन के फाउंडर्स मेम्बर थे. जबकि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी इस मैगजीन के सम्पादक थे. कहा जा रहा है कि पिछले साल अक्टूबर से पब्लिकेशन द्वारा डायरेक्टरेट ऑफ एडवर्टाइजिंग एंड विजुअल पब्लिसिटी (डीएवीपी) को मंथली कॉपी नहीं दी जा रही है. 1947 लखनऊ से प्रकाशित होने वाले ‘राष्ट्र धर्म’ मैगजीन के एंपैनलमेंट को डीएवीपी द्वारा सस्पेंड कर दिया गया है. बता दें कि 6 अप्रैल यानि बीजेपी के स्थापना दिवस के दिन ही मिनिस्ट्री ऑफ इन्फॉरमेशन एंड ब्रॉडकास्टिंग से यह आदेश जारी किया गया था.
इस मामले में ‘राष्ट्र धर्म’ के मौजूदा मैनेजिंग एडिटर का यह कहना है, “मैगजीन के 1947 में शुरू होने के बाद कभी भी ऐसा संदेह नहीं जताया गया. हमने 1947 से लगातार प्रकाशन जारी रखा है. यहां तक कि इमरजेंसी के दौरान भी, जब सरकार मीडिया के पीछे पड़ी हुई थी. हमारे अंक पिछले साल अक्टूबर के बाद से भी मौजूद हैं. अगर डीएवीपी को किसी वजह से अक्टूबर के बाद हमारी कॉपी नहीं मिली तो सस्पेंड किए जाने से पहले उसे ऑफिशियली इस बारे में बताना चाहिए था. इस बारे में डीएवीपी को जवाब भेजा जा रहा है. मुझे सरकार से इस संबंध में कोई सूचना नहीं मिली है.”