हज सब्सिडी के नाम पर सरकार करती थी हज यात्रियों के पैसों के साथ ऐसा काम की जानकार रह जाएंगे दंग…

न्यूज़ डेस्क: मोदी सरकार ने हज यात्रियों की सब्सिडी बंद करने का फैसला देर से ही लिया लेकिन इस फैसले का स्वागत करना चाहिए. हालांकि हज सब्सिडी को लेकर पहले से मुस्लिम समाज कहता रहा है कि इस सब्सिडी का फायदा उन्हें नहीं हो रहा है, जबकि इसका फ़ायदा सीधे तौर पर कुछ ही एजेंसियों को होता था. हज यात्रियों ने बताया कि सब्सिडी के चक्कर में उन्हें बहुत सारी शर्तो से बाँध दिया जाता था.

सब्सिडी पाने के लिए यात्रियों को विशेष एयरलाइंस से ही यात्रा करनी होगी, चाहे टिकट कितनी महंगी क्यों ना हो. यह 700 करोड़ का सब्सिडी सालाना चंद एजेंसियों की जेब में जाता रहा है और इस सब्सिडी को देश-विदेश में ऐसे दर्शाया जाता था कि मुसलमानों पर कितना बड़ा एहसान किया जा रहा है.

बता दे कि आम तौर पर दिल्ली से जेद्दाह की वापसी टिकट 30,000 रूपये के आस पास होता है. और वह भी तब जब आप टिकेट एक महीने पहले बुक करें और आपने सिर्फ एक टिकट खरीदने के लिए 30,000 रूपये से सीधे सऊदी एयरवेज का टिकट मिल जाए सोचिए जब आप 6 महीने पहले 1,75,000 रूपये का टिकट बुक करेंगे तो क्या मुल्य होना चाहिये? दरअस्ल रेट होना चाहिये बीस हजार के आस पास.

हज कमैटी ने पिछले साल हज यात्रियों के लिए टिकट एयर इंडिया से 80 हजार का खरीदा था, इसका सिंगल पार्टी टेंडर होता है. हर साल एयर इंडिया की भीड़, एक तरह से खाली सीटों को तर्क देकर 20,000 रूपये के टिकट और 80,000 में बेचती हैं. यानी एक टिकिट पर 60,000 रूपये बढ़ा दिये जाते हैं. जिसमें 700 करोड़ की सब्सिडी मिलती है. यानी 175,000 40,000 / – प्रति हज यात्री को बीस हजार का नुकसान हुआ करता था, और ऊपर से भारत सरकार का अहसान का बोझ भी अपने सर पर लाद लिया.

हज सब्सिडी का खत्म होना, एक छलावा, एक फ्राॉड का खत्म होने जैसा है. जिसका लाभ हजयात्रियों के बजाये एयर इंडिया की डूबती नैया को आक्सिजन देने जैसा रहा है. अब एयर इंडिया बिक ही जाना है तो हज सब्सिडी के छलावे की जरूरत ही क्या है.

खालिद सैफी

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