न ही गोरखपुर और न ही अयोध्या बल्कि इस सीट से योगी लड़ सकते हैं उप चुनाव!

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लखनऊ: उत्तर प्रदेश में आने वाला उप चुनाव भारतीय जनता पार्टी के लिए सबसे बड़ी चुनौती मणि जा रही है. यह चुनाव राज्य सभा की दो, लोकसभा की दो, विधान सभा की एक और विधान परिषद की चार सीटों के लिए होना है. बीजेपी के सामने सबसे पहली चुनौती किस सीट पर कौन उम्मीदवार लड़ेगा. जिसे लेकर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के जाने के बाद भाजपा के रणनीतिकार इस पर माथापच्ची कर रहे हैं.

हालाँकि आपको बता दें की इसका फैसला शीर्ष नेतृत्व को ही करना है. उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य उत्तर प्रदेश सरकार में ही रहेंगे इस बात की स्पष्टता अमित शाह ने कर दी है. अब इससे तो दो बातें साफ हैं कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केशव मौर्य को त्यागपत्र देना है. उप राष्ट्रपति चुनाव के बाद यह इस्तीफा हो सकता है.

इसके बाद योगी आदित्यनाथ के संसदीय क्षेत्र गोरखपुर और केशव प्रसाद मौर्य के फूलपुर में उप चुनाव होना तय है. आपको बता दें की कानपुर देहात में विधायक मथुरा प्रसाद पाल के निधन से सिकंदरा सीट रिक्त है. वहीँ एमएलसी यशवंत सिंह, बुक्कल नवाब और ठाकुर जयवीर सिंह के इस्तीफे से विधान परिषद की तीन सीटों के लिए जबकि, बदायूं में बनवारी यादव के निधन से स्थानीय प्राधिकारी निर्वाचन क्षेत्र की विधान परिषद तथा बसपा प्रमुख मायावती और पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के इस्तीफे के बाद राज्यसभा की दो सीटों पर भी उप चुनाव होना है.

इतना तो तय है की भाजपा 19 सितंबर से पहले सरकार में शामिल लोगों को विधान मंडल की सदस्यता दिलाएगी, परन्तु बहुत सी स्थितियां अभी ऐसीं हैं जिन्हें स्पष्ट होना अभी बाकि है. भाजपा खेमे में तो यह बात चल रही है कि योगी आदित्यनाथ जनता के बीच से चुनकर विधानसभा में आने की इच्छा रखते हैं. भाजपा सिकंदरा विधानसभा सीट से ही योगी को मैदान में उतार दे इसकी संभावना बनी हुई है.

इसके अलावा दूसरा दृष्टिकोण यह भी देखा जा रहा है कि भाजपा योगी आदित्यनाथ के चुनाव लडऩे से मैसेज देने का भी काम करेगी इसलिए या तो गोरखपुर में उनके संसदीय क्षेत्र की ही कोई विधानसभा सीट चयन करे या फिर अयोध्या से उन्हें मौका मिले. अयोध्या से योगी आदित्यनाथ की उम्मीदवारी का बड़ा मैसेज जाएगा. सरकार के बाकी लोगों के लिए विधान परिषद में जाने की बात पक्की मानी जा रही है. योगी व केशव के अलावा उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा, परिवहन मंत्री स्वतंत्र देव सिंह और राज्यमंत्री मोहसिन रजा विधान मंडल के किसी सदन के सदस्य नहीं हैं.

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