अमेज़न सेल के दुसरे दिन भी इन गैजट्स पर मची है भारी लूट….
— August 10, 20179 से 12 अगस्त तक चलने वाली अमेजॉन की ‘द ग्रेट इंडियन सेल’ बुधवार से शुरू हो गई है. अमेज़न…
चुनाव में भाजपा को प्रचंड बहुमत दिलाने में शिक्षामित्रों की भूमिका बहुत अहम् मानी जा रही है. परन्तु सिक्षमित्रों के समायोजन रद्द होने से भाजपा को शिक्षा मित्रों के कोप का भाजन बनना पड़ रहा है. आपको बता दें की पार्टी को अभी निकाय चुनाव लड़ना बाकि है. जिसके लिए पार्टी मतदाता सूची से लेकर परिसीमन तक सभी दुरुस्त करा रही है. अब इस काम को भी शिक्षा मित्र बीएलओ बनकर निपटा रहे हैं.
प्राइमरी स्कूलों में पढ़ाने के साथ शिक्षामित्र विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं में लाभार्थियों के सत्यापन का भी काम करते हैं. जानकारी के लिए बता दें की 90 फीसदी ऐसे शिक्षामित्र हैं जी ग्रामीण क्षेत्रों में तैनात हैं. ऐसे में अगर एक ग्राम पंचायत में आधा दर्जन शिक्षा मित्र हैं तो उनके परिवारजन और शुभचिंतकों की संख्या 100 तक पहुंचती है. और यही कारण है की सपा-बसपा की सरकारें उन्हें लुभाने में लगी रहीं मगर भाजपा सरकार के सामने शिक्षा मित्र अब नई समस्या बन कर खड़ी है.
2019 में लोकसभा की 80 सीटों को फतह करने के लक्ष्य को लेकर चल रही भाजपा का संगठन सरकार से शिक्षा मित्रों को राहत देने की उम्मीद लगाए हुए है. परन्तु अब शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द होने के आरोपों से भाजपा चिंतित हो गई है. पार्टी का मानना है कि गांव-गांव तक फैले ये पौने दो लाख शिक्षामित्र लोकसभा चुनाव तक संतुष्ट नहीं हुए तो उनके पार्टी के जीत पर पानी फिर सकता है.
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