आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों का प्रदर्शन रहा सफल, सरकार ने मानी यह बात
— September 28, 2016आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों का पिछले दो दिनों से लखनऊ में चल रहे धरना प्रर्दशन सफल रहा है. सारकार ने उनकी मांगों…
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का कल आठवां मंत्रीमण्डलीय विस्तार होने वाला है जिसमें जियाउद्दीन रिजवी को मंत्री पद की शपथ दिलाने के साथ सरकार से बर्खास्त मंत्री गायत्री प्रजापति को भी पुनः मंत्री मंडल में शामिल किया जाएगा. लेकिन फिलाहल गायत्री का फिर से मंत्री बनना थोड़ा मुश्किल लग रहा हैं. बताया जा रहा कि पुनः मंत्री पद की शपथ दिलाने की बात सामने आने के बाद स्वयंसेवी संस्था की संचालक नूतन ठाकुर ने शनिवार को अपने अधिवक्ता अशोक पांडेय के साथ राजभवन पहुँची और प्रजापति को मंत्री न बनाने का प्रतिवेदन दिया.
नूतन ठाकुर के इस प्रतिवेदन में यह कहा गया है कि गायत्री प्रजापति को भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग की कार्य प्रणाली की सीबीआइ जांच के बाद उनके पद से मुख्यमंत्री ने उन्हें बर्खास्त किया था. नूतन के मुताबिक किसी मंत्री को उसके पद से तभी हटाया जाता हैं जब वह राज्यपाल का विश्वास खो बैठते हैं. ऐसा संविधान के अनुच्छेद 164 में वर्णित हैं. इस मामले में राज्यपाल राम नाईक ने नूतन ठाकुर से प्रतिवेदन मिलने की बात स्वीकारी है और कहा है कि वो इस प्रतिवेदन का परीक्षण करने के बाद ही कोई निर्णय लेंगे.
आपको बता दें कि 26 सितम्बर को एक बार फिर मुख्यमंत्री अखिलेश के मंत्रिमंडल का विस्तार होने जा रहा हैं. जिसके तहत जियाउद्दीन रिजवी को मंत्री पद की शपथ दिलाई जाएगी. जबकि हाल में अखिलेश द्वारा उनके कैबिनेट से बर्खास्त हुए सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के करीबी विधायक गायत्री प्रजापति को अखिलेश में मंत्रीमंडल में शामिल किया जाएगा. जबकि मुख्यमंत्री द्वारा ही पंचायती राज मंत्री पद से हटाये गए राजकिशोर सिंह को फिलहाल अखिलेश ने मंत्रीमंडल से दूर रखने का ही फैसला सपा के शीर्ष नेताओं द्वारा किया गया हैं. हालांकि तीसरे पद की मंत्री का चयन करने पर सपा में मंथन चल रहा है.
गौरतलब हो कि 12 सितम्बर को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एक बहुत बड़ा फैसला लेते हुए अपने पार्टी की सरकार में शामिल दो मंत्रियों को बर्खास्त कर दिया है. इन दों मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे. बर्खास्त होने वाले ये मंत्री हैं: पंचायती राज मंत्री राज किशोर सिंह और कोयला और खनन मंत्री गायत्री प्रजापति. सूत्रों में जानकारी के मुताबिक सीएम ने दोनों की बर्खास्तगी के लिए राज्यपाल राम नाईक को लेटर भी भेज दिया था.
बता दें कि कुछ ही समय पहले हाईकोर्ट ने खनन घोटाले मामले में सीबीआई जांच के आदेश दिए थे. उसके बाद अब अखिलेश यादव ने भी यह बड़ा फैसला लिया. इससे पहले भी यूपी की कई जिलों में चल रहे अवैध खनन पर सीबीआई जांच रुकवाने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट की बड़ी बेंच में पहुंची अखिलेश सरकार तगड़ा झटका खा गई थी. हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच पर रोक लगाने से साफ मना कर दिया था. साथ ही सरकार से यह सवाल भी पूछा था कि खनन में कोई गड़बड़ी नहीं है तो सरकार जांच से क्यों रुकवाना चाह रही है?
हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद सकते में आई सरकार ने चुनाव से पहले खनन घोटाले के आरोपियों को पार्टी से निकाल दिया. हालांकि पार्टी से बर्खास्त हुए गायत्री प्रजापति अपनी ख़राब कार्यशैली को लेकर पहले भी कई बार विवादों से घिरे हुए पाए गए हैं. कहा जाता है गायत्री प्रजापति का नाम सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के नजदीकी नेताओं में शामिल हैं.
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