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उत्तर प्रदेश के संभल जिले में अभी भी एक गांव ऐसा है जहां के लोग राखी का त्यौहार नहीं मनाते है. जी हाँ जब उनसे इसका कारण पूछा गया तो उन्होंने बताया की वो इस त्यौहार को इसलिए नही मनाते है क्योंकि उन्हें डर है कि बहन उनसे कहीं ऐसा उपहार न मांग ले, जिससे उससे अपना घर छोड़ना पड़ जाए. और यही कारण है की रक्षाबंधन के दिन इस गांव के हर घर में सन्नाटा पसरा रहता हैं.
आपको बता दें की बेनीपुर चक गांव में रक्षाबंधन सदियों से नहीं मनाया जा रहा है. कोई बहन भी अपने भाई को राखी नहीं बांधती है.यहाँ ऐसा क्यों होता है इसका प्रामाणिक जवाब तो किसी के पास नहीं लेकिन गांव के बुजुर्गो की मानें तो ये परम्परा कई सालों से चली आ रही है. इस मामले पर बेनीपुर चक गांव के ग्राम प्रधान हरि राम ने पूरी कहानी बताई उन्होंने कहा कि यह यादव व ठाकुर बाहुल्य गांव था. जमींदारी यादव परिवार की ही थी. ठाकुर का कोई बेटा नहीं था, इसलिए ठाकुर परिवार की एक युवती यादव परिवार के लड़कों को अपना भाई मानते हुए उनकी कलाई पर राखी बांधती थी.
परंपरागत अनुसार यादव भाई अपनी बहन को उपहार भी देते थे. परन्तु एक दिन ठाकुर की बेटी ने यादव के पुत्रों को राखी बांधी और उपहार में उनके गांव की जमींदारी मांग ली. बात के धनी जमींदार अपनी मुंहबोली बहन को रक्षाबंधन के दिन ही गांव व उसकी जमींदारी देकर खुद गांव से निकल गए.
हालांकि बाद में ठाकुर बहन ने बहुत कहा कि यह तो मजाक थापरन्तु उस वक़्त यादव परिवार ने कहा कि हमारे यहां बहनों से मजाक की परंपरा नहीं है,जो दे दिया, सो दे दिया उसे वापस नहीं लेते. वह जमीदार यादव परिवार संभल के बेनीपुर गांव पहुंचकर बस गए. उस दिन के बाद इन यादव परिवारों ने बहनों से राखियां बंधवाना इस लिए छोड़ दिया, कि कहीं दोबारा कोई बहन उन्हें अपना घर छोड़ने पर मजबूर न कर दे. तभी से ये परंपरा आज तक कायम हैं.
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