मोदी के नोटबंदी के बाद यूपी में हो सकती हैं बीजेपी की वोट बंदी! पीएम का जबरस्त तरीके से शुरू हुआ विरोध

amit and modi
लखनऊ: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा बीते 8 नवम्बर को देश से 1000 और 500 के नोटों का प्रचलन बंद करने के फैसले के बाद जहां कुछ ही लोगों ने उनका समर्थन किया, तो देश के आधा से अधिक लोग पीएम द्वारा अचानक लिए गये इस फैसले को सहीं नहीं करार दिया. ये सच है कि पीएम के इस फैसले से कालाधन पर आंशिक तौर पर रोक लग सकता हैं. लेकिन यह भी सच है कि उनके इस कड़क फैसले से कई लोगों को काफी परेशानियों का सामना पड़ा हैं. देश के अभिभावक के समान प्रधानमंत्री को भले ही लगा रहा है कि उनका यह फैलसा कड़क हैं. लेकिन उनके इस फैसले से देश की 90 फीसदी लोगों की पीड़ा को देखकर यह कहा जा सकता हैं कि देश के अभिभावक ने बिना तैयारी के यह बड़ा फैसला लिया हैं. जिसमें उनकी सकरार की अपरिपक्वता साफ झलकती हैं.


आपको बता दें कि यूपी में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार द्वारा लिए गये फैसले से भले बीजेपी को चुनाव में इसका राजनीतिक लाभ लेने के उम्मीद लग रही हो. लेकिन यह भी सच है कि यूपी में अभी कई जन ऐसे भी जो दिहाड़ी मजदूरी और छोटी मोटी कृषि के जरिए अपना जीवन यापन करते हैं, उनमें से कईयों के पास अपना बैंक खाता भी नहीं है. वो रोज मिलने वाले पैसे को लुका छिपा कर रखते है ताकि उनका घर चल सके और जरूरत पर इसका इस्तमाल किया जा सके.

वो ऐसा करे भी तो क्यों न क्योंकि 56 इंच के छाती वाले प्रधानमंत्री के होते हुए भी यूपी में अभी भी कई ऐसे गांव हैं जहाँ दूर दूर तक कोई बैंक या एटीएम नहीं. लोग दस दस किलोमीटर दूर जाकर बैंकों से पैसा निकालने को मजबूर हैं. सबसे बड़ी बात तो यह है कि इन वर्ग के लोगों में शिक्षा का भी स्तर भी काफी गिरा हुए होता हैं. ऐसे में ये जो सामने देखते हैं. उसे ही सही मान लेते हैं और मौजूदा समय में इन्हें सिर्फ परशानी दिख रही हैं. जबकि और कुछ नहीं. इसके अलावा नोटबंदी के फैसले के बाद कई बिमार व अन्य लोगों की मौते भी हुई हैं. जो भी सरकार के नोट बंदी के फैसले पर सवाल छोड़ रही है.

इसके साथ ही जहां तक विरोधियों की बात हैं तो यूपी में मोदी सरकार के इस फैसले के खिलाफ कई दलों ने मोर्चा खोलना शुरू कर दिया हैं. ये दल जनता की परेशानियों को देखते हुए सड़क पर भी उतर आये हैं. कहा जा रहा है कि स्कूल और कालेजों के परिसर, बाजार व गांवों की चौपाल तक भाजपा सरकार के इस फैसले का विरोध शुरू हो चूका है. यहाँ तक के संभल में कुछ लोगों ने प्रधानमंत्री मोदी के पोस्टर पर कालिख भी पोत दी और अपने विरोध की जाहिर किया.

जबकि कांग्रेस के भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन ने नोटबंदी के बाद कालेजों के परिसरों में भी सरकार के खिलाफ मुहीम छेड़ दी है. ऐसा ही कुछ आगे भी होने की संभावना जताई जा रही हैं. साथ ही यूपी जनता अपनी परेशानीयों को और दिक्कतों देख बीजेपी को वोट देने से कहीं कतरा न जाए यह भी उम्मीद कीया जा सकता है.



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