खुशखबरी: मोदी सरकार इन दसवीं पास बेरोजगारों को देगी गैस एजेंसी का लाइसेंस
— November 2, 2016मुरादाबाद: युवाओं की बेरोजगारी की समस्या और पलायन को रोकने के लिए मोदी सरकार गांव में रह रहे दसवीं पास…
असगर नकी,अमेठी. सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के एक पैर छूने के बाद दूध के धूले हो जाने वाले मंत्री गायत्री प्रजापति भ्रष्ट्राचार में गले तक डूबे हुए माने जाते हैं. यही वजह हैं कि उन्हें हाल ही में मुख्यमंत्री अखिलेश ने अपने कैबिनेट से बहार निकाल दिया था. फिर इसके बाद सपा मुखिया के आगे पीछे करके इन्होंने बीते 26 सितम्बर किसी तरह से अपना पुराना रुतबा हासिल कर लिया और खिताब दोबारा मिलने के बाद इन्हें नहीं रहा गया. इसीलिए इन्होंने पूरी सभा के बिच मुलायम के पैर छुए और दूध के तरह बेदाग हो गए.
सूत्रों की मानें तो अवैध खनन की काली कमाई को सफेद करने के लिए बनाई गई इन कंपनियों में गायत्री प्रसाद के रिश्तेदारों के अलावा घर का ड्राइवर भी कंपनी में शामिल है. सबसे अहम बात ये कि मंत्री की कंपनी में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी उनके बेटे अनुराग प्रजापति की है.
गायत्री प्रसाद को फिर मंत्री बनाए जानें के बाद न्यायालय की शरण में गई सोशल एक्टिविस्ट नूतन ठाकुर के मुताबिक 16 लोगों के नाम पर मंत्री गायत्री प्रसाद की बेनामी संपत्तियां हैं. जिनमे गायत्री के परिवार के अनिल प्रजापति (पुत्र), अनुराग प्रजापति (पुत्र), सुधा (पुत्री), अंकिता (पुत्री), महाराजी (पत्नी), रामशंकर (भाई), जगदीश प्रसाद (भाई) शामिल हैं. वहीं करीबियों में गुड्डा देवी (महिला सहयोगी), राम सहाय (ड्राइवर), रामराज (सहयोगी), पूनम (गुड्डा की बहन), सुरेन्द्र कुमार, प्रमोद कुमार सिंह, सरोज कुमार, जन्मेजय और देवतादीन शामिल हैं.
मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति का जमीन का कारोबार भी है करोड़ों में है. 2012 में विधायक बनने से पहले गायत्री प्रसाद प्रजापति छोटी-छोटी जमीने खरीद कर प्रॉपर्टी डीलिंग का काम किया करते थे. मंत्री बनने के बाद गायत्री ने 3 कंपनियों के द्वारा अवैध जमीन का भी खूब कारोबार किया गया. सूत्रों के मुताबिक लखनऊ के रायबरेली रोड पर मोहनलालगंज में इनकी 110 एकड़ जमीन का जिक्र कंपनी में किया गया है. जिसकी मौजूदा कीमत आंकड़ों के अनुसार 2 करोड़ प्रति बीघे की दर से है. वहीं सूत्रों के अनुसार गायत्री प्रसाद की कंपनियां खनन के अलावा जमीन से जुड़े हुए व्यापार में भी शामिल रही हैं. प्रॉपर्टी से जुड़े व्यापार और अवैध सम्पत्तियों के लिए उन्होने अलग कंपनियां बनाई हैं. ये कंपनियां अमेठी के एक सरकारी कर्मचारी की बेटी और दामाद के नाम रजिस्टर्ड हैं.
मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति के खिलाफ लोकायुक्त के यहां प्रतापगढ़ निवासी ओम शंकर द्विवेदी ने 2014 में शिकायत दर्ज कराई थी. इसके बाद कुछ महीनों तक चली जांच के बाद तत्कालीन लोकायुक्त एनके मेहरोत्रा ने साक्ष्यों का अभाव कहकर जांच बंद दी थी. वहीं शिकायतकर्ता ने भी अपनी शिकायत वापस ले लिया था. जबकि नियम के अनुसार यदि कोई शिकायतकर्ता शिकायत वापस लेता है तो उसे दंड दिया जाना होता है. लेकिन इस केस में ऐसा कुछ नहीं हुआ और जांच बंद हो गई.
सूत्रों की जानकारी के तहत आज की तिथि में शिकायतकर्ता ओमशंकर द्विवेदी के पास खनन के 17 पट्टे हैं. ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि गायत्री प्रजापति किस तरह से शिकायतों को मैनेज करते हैं. ऐसे में मंत्री पर भ्रष्ट्राचार के इतने गम्भीर आरोप लगने के बाद मुख्यमंत्री द्वारा की गई बर्खास्तगी की कार्यवाही अपने आपमें सही क़दम रहा. लेकिन कार्यवाही को बाधित कर गायत्री प्रसाद को पुनः मंत्रिमंडल में वापस लेना सपा के ज़िम्मेदारो के लिए घातक हो गया है. जिसका जवाब सपा के ज़िम्मेदारो को अमेठी के चुनावी मंच से लेकर प्रदेश भर के मंचों से देना पड़ेगा.