ताजा खबर: अमेठी में दांव पर है राहुल गांधी और प्रियंका की प्रतिष्ठा, मुकाबले पर बीजेपी और स्मृति!


असगर नकी, अमेठी: यूपी की अमेठी लोकसभा सीट कभी कांग्रेस का अभेद्य दुर्ग रही होगी पर अब नहीं. 2012 का विधानसभा चुनाव इसका प्रमाण है. 5 विधानसभा सीटों पर आधारित इस कांग्रेसी गढ़ में 3 पर सपा तो 2 सीट पर कांग्रेस जीत दर्ज करा सकी थी. रही-सही कसर 2014 में पूरी हो गई जब 20 दिनों में स्मृति ईरानी ने कड़े मुकाबले में राहुल गांधी को लाकर खड़ा कर दिया था. अब एक बार फिर राहुल की प्रतिष्ठा दांव पर है और मुकाबले पर बीजेपी है.


कभी जिस अमेठी में गांधी परिवार 4 लाख के अंतर से जीत दर्ज़ करता रहा वही 2014 में 80 हजार के मामूली अंतर से राहुल स्मृति के मुकाबले जीत दर्ज़ कर सके. वहीं 2012 में अमेठी में प्रियंका वढेरा ने जमकर प्रचार किया था तो कांग्रेस को 5 में केवल 2 सीट पर जीत मिली. यही नहीं 2015 के पंचायत चुनाव में जिले के 13 ब्लाक प्रमुख पदों में कांग्रेस को मात्र बहादुरपुर ब्लाक प्रमुख की सीट हासिल हो सकी. इतना ही नहीं 7 ब्लॉकों में तो राहुल के सेनापति एक अदद उम्मीदवार तक नही ढूंढ सके. सब छोड़ दें जिला पंचायत अध्यक्ष पद का चुनाव तो कांग्रेसी इतिहास में अजीबो-गरीब रहा.

जिला पंचायत अध्यक्ष पद के उम्मीदवार ने ऐन वक़्त पर अपना नामांकन वापस लेते हुए राहुल की भदद पिटा दी थी. अब विधानसभा चुनाव सामने है और पार्टी की गुटबाज़ी है कि थमने का नाम नही ले रही. ये कहा जाए तो गलत नहीं होगा कि अमेठी के ज्यादातर कांग्रेस नेता सपा की “बी टीम” की तरह समाज के सामने पेश आये. कांग्रेस कार्यकर्ता बुरी तरह निराश और हताश हैं, उनके सामने भविष्य का संकट खड़ा है.


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