मंत्री आजम खान के उम्मीदों पर फिर सकता है पानी


यूपी सरकार के कैबिनेट मंत्री आजम खान द्वारा पेश किया गया उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक आयोग (संशोधन) विधेयक, 2015’ की संवैधानिकता और औचित्य का परीक्षण राजभवन में राज्यपाल राम नाईक द्वारा किया जा रहा है. सूत्रों के अनुसार राजभवन के इस विधेयक को हरी झंडी देने में की जा रही देरी के कारण यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि इस विधेयक को राजपाल द्वारा पुनर्विचार के अखिलेश सरकार को लौटाया जा सकता है.

बताया जा रहा है कि आजम इस विधेयक के द्वारा राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष को कैबिनेट मंत्री का दर्जा देना चाहते है लेकिन आजम का राज्यपाल पर किए गए बयानबाजी को देखते हुए ये कहा जा रहा है कि कुछ अन्य विधेयकों तरह इसे भी प्रदेश के सरकार के पास वापस किया जा सकता है. गौरतलब हो कि राज्यपाल ने इसी सप्ताह पहले से लंबित विधेयकों जल्द फैसला किया और कुछ को पुनर्विचार के लिए सरकार को लौटा दिया तो कुछ को राष्ट्रपति के विचारार्थ संदर्भित कर दिया.

इस विषय पर जानकारों का कहना है कि अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष का पद संवैधानिक पद नहीं होता है ऐसे में इस पद के धारक को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया जाना बिल्कुल ही असंवैधानिक बात होगी. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट का भी कहना है कि जो पद संवैधानिक नही हो उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा न दिया जाए. इसलिये भी आजम खान के इस विधेयक को राजभवन द्वारा सरकार के पास पुनः लौटाने के संकेत मिल रहे हैं.

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