JIO लेकर आया है रोजाना 3GB डेटा का यह जबरदस्त प्लान, साथ में अनलिमिटेड कॉलिंग भी…
— October 31, 2017रिलायंस जियो इन दिनों अपने प्लान्स में नए नए बदलाव कर रहा है. इसके अंतर्गत अब एक बार फिर JIO…
यूपी विधानचुनाव में मिली करारी हार के बाद समाजवादी पार्टी के राष्ट्रिय अध्यक्ष अखिलेश यादव अपने कुनबे के साथ पार्टी में अकेले पड़ गए हैं. उन्हें न तो शिवपाल का साथ मिल रहा है और न ही उनके पिता और सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव का. ये दोनों अखिलेश से चुनाव के दौरान से ही नाराज है. हालांकि सभी लोग यह बार बार कहते रहे हैं कि पार्टी में सब ठीक है पर कई घटनाओं के माध्यम यह सामने आया कि सपा अभी अभी मनमुटाव के दौर से गुजर रही है. शिवपाल और मुलायम की अखिलेश से नाराजगी की वजह सपा अध्यक्ष की कुर्सी और चुनाव टिकटों का बंटवारा बना.
शिवपाल चुनाव के बाद कई बार यह कहते रहे कि अखिलेश को सपा अध्यक्ष की कुर्सी छोड़कर मुलायम के हाथों में सौंप देना चाहिए. यहां तक उन्होंने तो अपना अलग मोर्चा बनाने का ऐलान भी कर दिया. लेकिन अखिलेश ने इन बातों पर ध्यान नहीं दिया और आगे की रजनीति में लगे रहे. मीडिया में आई कभी खबरों की जरिये यह पता चला कि अखिलेश कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के साथ मिलकर 2019 लोकसभा चुनाव की तैयारी में लगे हुए हैं.
जबकि वो चुनाव में बीजेपी को हटाने और सपा को मजबूत स्थिति में लाने के लिए विपक्षी दलों के साथ गठबंधन करने को राजी भी है. इसको लेकर अभी कुछ दिनों पहले ही मुलायम सिंह ने अपना मंसूबा साफ कर दिया. उन्होंने कहा कि अगर अखिलेश चाहते हैं तो वो गठबंधन कर लें लेकिन वो सपा से हट जाएंगे. उन्होंने कहा कि यदि इससे सपा ने कई बार अपनी दम पर जीता और सरकार बनाई लेकिन इस बार गठबंधन किया तो हार गए.
ज्ञात हो कि चुनाव से पहले भी मुलायम सपा और कांग्रेस गठबंधन के पक्ष में नहीं थे. इन सब के बीच गौर करने वाली है बात यह भी है कि मुलायम ने कहा है कि यदि गठबंधन की जाती है तो वो सपा से अलग हो जायेंगे. उनके इस बयान से यह अर्थ निकाला जा सकता है कि यदि सपा अकेले चुनाव लड़ने का मन बनाती है तो अखिलेश पर मुलायम अपनी कृपा बना सकते हैं. यानि की मुलायम के अनुभव का आशीर्वाद सपा को मिल सकता है.
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