योगी सरकार का वो हिंदुत्व फोकस….


मंगलवार से योगी सरकार का बजट सत्र शुरू हो गया है. योगी सरकार ने शुरू में ही अपनी और पार्टी की लाइन एकदम स्पष्ट कर दी है. योगी सरकार ने अपने बजट में हिंदुत्व के प्रतीकों को भरपूर महत्व दिया गया है. किसानों की कर्जमाफी की छाया में आया योगी सरकार का पहला बजट बहुत चकित तो नहीं था मगर इसमें उन बातों का विशेष ध्यान रखा गया है जो अभी तक राजनीति की प्राथमिकता पर नहीं रहे. बता दें की बजट में अयोध्या, काशी, चित्रकूट और मथुरा के साथ हिंदू आस्था के अन्य स्थलों को महत्व दिया गया है.

यूपी सरकार की इस बजट में स्वदेश दर्शन योजना का उल्लेख है. इसके लिए अयोध्या, वाराणसी और मथुरा में 1240 करोड़ रुपये की लागत से क्रमश: रामायण, बौद्ध और कृष्ण सर्किट बनेंगे. सरकार प्रासाद योजना के तहत इन्हीं तीनों नगरों में बुनियादी सुविधाओं के विकास के लिए 800 करोड़ रुपये भी खर्च करने जा रही है. सरकार ने विंध्याचल धाम का भी विशेष ध्यान रखा है जिसके विकास के लिए 10 करोड़ रुपये का प्रस्ताव किया गया है. यंहा तक की योगी सरकार 2019 में पडऩे जा रहे प्रयाग अद्र्धकुंभ मेले के लिए 500 करोड़ रुपये देने जा रही है.

अगर बात वाराणसी की करे तो वाराणसी भले ही प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र हो परंतु सनातन संस्कृति का प्रमुख केंद्र वह अनादि काल से ही है. सरकार द्वारा वहां सांस्कृतिक केंद्र बनाने के लिए बजट में 200 करोड़ रुपये का प्रावधान भी पेश किया गया है. इस बजट की एक खास बात यह भी है कि अल्पसंख्यक कल्याण योजनाओं की मद को अखिलेश सरकार जैसा ही रखा गया है उस मद में यदि बढ़ोतरी नहीं हुई तो कटौती भी नहीं गई है.

बजट में यह भी कहा गया है की मथुरा में गीता शोध संस्थान और कृष्ण संग्रहालय की स्थापना के साथ ही लोक कला उत्सव भी होंगे. कला परिषद, कबीर अकादमी की स्थापना का प्रस्ताव भी बजट में है. साथ में सरकार गीता शोध संस्थान और लोक कलाकारों को वाद्ययंत्रों के लिए एक-एक करोड़ रुपये भी देगी. गाजियाबाद में कैलाश मानसरोवर भवन के निर्माण के लिए 20 करोड़ रुपये का प्रस्ताव बजट में पेश किया गया है.


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