10 शब्द केवल Google कर्मचारी समझते हैं लेकिन इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आप भी समझ सकेंगे…
— November 26, 2017इंटरनेट का नाम आते ही दिमाग में सबसे पहला शब्द क्या आता है:- आप अपना कमेंट करके जरुर बताये लेकिन…
क्या मुलायम सिंह यादव ने शिवपाल को साइड कर दिया है? क्या अब मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव के बीच सुलह हो गई है? क्या शिवपाल, समाजवादी पार्टी के अगले चुनाव में भी हार का इंतजार कर रहे है, ताकी मजबूरन सपा की कमान फिर से उन्हें मुलायम सिंह यादव खुद सौपे? इस तरह के कई सवाल आपके मन भी उठ रहे होंगे. इस तरह से सवाल मेरे भी मन में उठ रहे है, चलिए इसपर कुछ पॉइंट्स को देखते है:
मुलायम सिंह यादव ने शिवपाल को छोड़ कई मौके पर हालिया दिनों में अखिलेश के साथ दिखे…पिछले दो महीनों से कई मौके पर दोनों साथ देखें गये. चाहे सपा का राष्ट्रीय अधिवेशन हो या बर्थडे दोनों साथ दिखे. समाजवादी पार्टी पर पूरी तरह अखिलेश यादव का आधिपत्य हो जाने के बाद पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने शिवपाल पर चुप्पी साध ली है, उसने शिवपाल की भविष्य की सियासत पर सवाल खड़े कर दिए हैं. इस हालात में शिवपाल के सामने दो ही रास्ते बचे हैं।. या तो वह पार्टी में अखिलेश की सत्ता के शरणागत हों या फिर बगावत की राह पकड़ें.
इसमें कोई दो राय नहीं है कि शिवपाल यादव निकाय चुनाव में भी अपने उम्मीदवारों को सपोर्ट कर रहे है. राजनीतिक गलियारों में चर्चा भी है कि 2019 लोकसभा चुनाव से पहले अलग मोर्चा के गठन की घोषणा कर सकते है. अगर ऐसा हुआ तो सपा को चुनाव के समय में इस चुनौती से निपटना नामुमकिन हो जायेगा और फिर शिवपाल के हाथों में सपा की ताकत आ सकती है.
मुलायम सिंह यादव समझ गये है कि बेटे और चाचा की लड़ाई में समाजवादी पार्टी को सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पर रहा है इसलिए अब वह शिवपाल को खुश करने के बजाय अपना ध्यान अखिलेश और पार्टी को मजबूत करने पर दे रहे है. हालिया उनके बयानों को देखा जाये तो उन्होंने बीजेपी पर हमला बोला है. उन्होंने राम और कृष्ण पर राजनीति शुरू कर दी है. मतलब साफ़ है शिवपाल को साइड किया जाये और पूरा ध्यान 2019 में सपा की जीत पर दिया जाये. आप अपनी राय भी कमेंट कर दें…
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