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तीन दिन पहले योगी सरकार से अपना बजट पेश किया है. जिसमे सूबे की योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा पहले बजट में ताजमहल की अनदेखी कर दी है जिसके बाद से सरकार पर विपक्ष का हमला है. आगरा का ताजमहल दुनिया के सात अजूबों में शामिल तथा यूनेस्को की विश्व धरोहरों में से एक है. इतना ही नहीं हर साल यहां आने वाले लाखों सैलानियों की वजह से केंद्र और प्रदेश की सरकार को राजस्व की प्राप्ति भी होती है.
लेकिन
जानकारी के लिए बता दें की अपने पहले आम बजट में सरकार ने ‘हमारे सांस्कृतिक विरासत’ नाम की योजना का प्रस्ताव रखा. जिसके अंतर्गत अयोध्या, मथुरा, वाराणसी, चित्रकूट, विंध्यांचल, नैमिषारण्य के विकास के लिए 2800 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है, लेकिन वंही अन्य धर्मों के आस्था केंद्रों के लिए बजट में इंतजाम नहीं किया गया है. इसी लिस्ट में आगरा का ताजमहल भी शामिल है.
गौरतलब है की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहले भी कह चुके हैं कि ताजमहल को मुग़ल शासक शाहजहां ने बनवाया था, लिहाजा वह हिंदुस्तान की प्राचीन संस्कृति का प्रतीक नहीं है. जिसके बाद से विपक्ष ने बजट में हिंदू धार्मिक स्थलों के लिए प्रावधान लाने के बाद से हल्ला मचाना शुरू कर दिया है. विपक्ष ने यह आरोप लगते हुए कहा है कि सरकार एक धर्म विशेष को खुश करने के लिए तुष्टिकरण की राजनीति कर रही है. हालांकि योगी सरकार ने बाराबंकी के देवाशरीफ बस अड्डे के नवनिर्माण और उच्चीकृत करने के लिए रकम का प्रावधान किया है.
इस मामले में समाजवादी पार्टी के एमएलसी सुनील सिंह साजन का कहना है कि बीजेपी और आरएसएस के लोगों की सोच बहुत ही संकीर्ण है. ये लोग देश की संस्कृति और इसके इतिहास को बदलना चाहते हैं. इन्होंने कभी भी आजादी की लड़ाई में हिस्सा नहीं लिया, लेकिन अब ये झूठे क्रान्तिकारी और झूठी विरासत खड़ी कर हमारी संस्कृति को ही बदलना चाहते हैं.
साजन ने आगे कहा कि अयोध्या, काशी, मथुरा जैसी जगह हमारी धार्मिक आस्था का प्रतीक है, लेकिन आगरा का ताजमहल हमारी संस्कृति का भी प्रतीक है. ताजमहल से हमारी पूरी दुनिया में पहचान है. उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि अगर बीजेपी ताजमहल को सांस्कृतिक धरोहर नहीं मानती, लाल किले को सांस्कृतिक धरोहर नहीं मानती तो फिर किसे मानती है? फिर क्यों प्रधानमंत्री लाल किले से भाषण देते हैं? बीजेपी को अपनी संकीर्ण मानसिकता को छोड़कर देश के बारे में सोचना चाहिए.
वंही दूसरी तरफ लखनऊ यूनिवर्सिटी के टूरिस्ट विभाग के डायरेक्टर प्रोफेसर एमके अग्रवाल ने इस मामले में अलग ही कहना है. उन्होंने इकनोमिक पॉइंट ऑफ़ व्यू से इस फैसला को काफी स्ट्रांग बताया है. उन्होंने कहा, “ यूपी में आज केवल ताजमहल ही एक टूरिस्ट प्लेस है. इस लिहाज से अगर धार्मिक स्थलों को भी विकसित किया जाता है तो यह काफी अच्छा कदम है. इससे सूबे में टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा.”
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