स्कूलों में पढ़ाने पहुंचे शिक्षामित्रों का बड़ा ऐलान, अगर दो सप्ताह में नहीं हुआ समाधान तो अब करेंगे…

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से हुई बातचीत के बाद मिले आश्वासन से भले ही यूपी के शिक्षामित्र स्कूलों में पढ़ाने पहुंच गए हैं लेकिन उन्हें जुलाई का वेतन मिलेगा या नहीं इस पर सवाल बना हुआ है. शिक्षामित्र द्वारा करीब 10 साल से नियमित किए जाने की मांग की जा रही थी. उन्होंने गांव से लेकर तहसील, जिला मुख्यालय और प्रदेश स्तर पर संघर्ष किया.

आपको बता दें की शिक्षामित्रों को समायोजित किया गया. इससे पहले शिक्षामित्रों को दो साल की दूरस्थ बीटीसी कराई गई, जिसके बाद समायोजित कर सहायक अध्यापक बना दिया गया, लेकिन तब तक शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू हो चुका था. इसमें टीइटी परीक्षा अनिवार्य कर दी गई थी, जबकि शिक्षामित्रों को इससे छूट दे दी गई थी.

इन्ही मुद्दों को लेकर उनका केस चल रहा था. आपको याद दिला दें की दो साल पहले हाईकोर्ट ने समायोजन निरस्त कर दिया था, जिस पर सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई थी, 25 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर ही मुहर लगा दी. जिसके कारन अब शिक्षामित्रों के जुलाई माह के वेतन पर संकट गहरा गया है.

इस मामले पर शिक्षामित्र संगठन के जिलाध्यक्ष सैयद जावेद मियां का कहना है कि 25 जुलाई तक नौकरी की है और सरकार को इसका वेतन देना चाहिए. वहीँ दूसरी तरफ बीएसए सर्वदानंद का कहना है कि 2015 में हाईकोर्ट ने इन्हें शिक्षक मानने से इंकार किया था, अब सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया है. ऐसे में कब तक का वेतन जारी करना है इसके लिए शासन की तरफ से किसी भी प्रकार का गाइडलाइन नहीं मिला है. और यही वजह है की वेतन प्रक्रिया पर फ़िलहाल रोक लगा दी गई है.

इन सब मामलों पर शिक्षामित्रों ऐलान किया है की अगर दो सप्ताह में सरकार उनके समस्याओं का समाधान नहीं निकलेगी तो वोइस बार एक बड़ा सा आन्दोलन करेंगे./p>

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