यूपी में क्यों कमजोर हो रही बीजेपी, चल गया पता


ऐजेंसी: यूपी में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव के लिए तमाम सियासी दलों ने चुनावी बिगुल बजा दिया हैं. सपा और बसपा के साथ कांग्रेस भी इस तैयारि में जी जान से जुट हुई है. लेकिन जहाँ तक बीजेपी के बात है तो ये पार्टी अभी भी संगठनात्मक चुनावों में ही उलझी पड़ी है.


उत्तर प्रदेश में वेर्ष 2017 की 404 विधानसभा सीटों के लिए चुनाव होने वाली है. इस चुनाव को देखते हुए प्रमुख विपक्षी दल बसपा ने महीनों पहले प्रत्याशियों को चुनावी मैदान में भेजना शुरू कर दिया है. बसपा के बाद सपा ने भी होली के अगले दिन 143 सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा कर सियासी पारे को और चढ़ा दिया.

इसके साथ ही यूपी में अपनी खोयी जमीन बचाने की कवायद कर रही कांग्रेस ने प्रशांत किशोर को चुनावी रणनीति बनाने की कमान सौंप कर सियासत की दुनिया में खलबली मचा दी. पर केंद्र की सत्ता पर आसीन भाजपा अभी भी अपने संगठनात्मक चुनावों से ही उबर नहीं पा रही है. हैरानी की बात तो यह कि पार्टी के प्रदेश संगठन पर अभी तक फैसला नहीं हो सका है.


पार्टी में न तो नए क्षेत्र अध्यक्षों की घोषणा हो सकी है और न ही जिला इकाइयों का गठन हो सका है. जिला इकाई के नाम पर अभी तक केवल जिलाध्यक्षों का चयन ही हुआ है जबकी अभी पूरी कार्रकारिणी और मोर्चा-फ्रंटों का चयन होना बाकी है. इस विषय पर राजनीतिक जानकार बताते हैं कि भाजपा की संगठनात्मक चुनाव में देरी से उन्हें नुकसान हो सकता है.

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