अमेठी की इज्जत व सम्मान बजाने को अब मैदान में उतरे ये सपा विधायक और मंत्री


असगर नकी, अमेठी. अपने जिलें में विकास की बहती गंगा देखने के लिए अमेठी की जनता ने 2012 में अपना कीमती वोट देकर गायत्री प्रसाद प्रजापति को विधायक बना दिया. गायत्री प्रसाद के फिलवक्त के गर्दिशी सितारे उस समय उनके हक़ में थे. साल गुज़रा और जनाब विधायक से मंत्री बन गए. फिर क्या था यहीं से वो अपनी ज़मीन भूल गए और हवा में सैर करने लगे. जिसके बाद अमेठी वासियों के सपने चकनाचूर हो गए और जनता खुद को ठगा महसूस करने लगी. खैर जनता का सब्र काम आया और गायत्री द्वारा जनता के साथ किये गये विश्वास घात का उन्हें खामियाज़ा भुगतना पड़ा. जिस पर अभी पूर्ण विराम नही लगा है. उधर खनन की काली कमाई से पटे गायत्री को देर से सही अमेठी और अमेठी वासियों की याद आ ही गई


गुरुवार को अमेठी के भेटुआ ब्लॉक के कई गांवों में आयोजित स्वागत समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि इज्जत, मानमर्यादा व सम्मान ही अमेठी का गौरव है. इसकी रक्षा व सम्मान के लिए हमारे खून का एक-एक बूँद इसके काम आये तो यह हमारा गौरव होगा. हालांकि जनता को रिझाने के लिए ये मंत्री जी के राजनीतिक बोल हैं. “सवाल ये है कि जो व्यक्ति: भ्रष्ट्राचार रूपी अरबों की रक़म डकार कर देश भर में इलाके को रुसवाई दिला चुका हो वो अब किस जतन से इलाके का सम्मान बचाएगा?” रहा सवाल अमेठी की सरज़मी के लिए मंत्री के खून देने की बात, जिसको देने पर मंत्री को गौरव होगा.

उसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि काली ही कमाई सही मंत्री ने जब उसमें हिस्सेदारी परिवारवाद और चमचागीरी करने वालों की लगाई पर उस समय अमेठी के किसी गरीब के सर पर छत या दो जून की रोटी के लिए वो रक़म गरीब को नही दिया. तो ऐसा व्यक्ति अपने शरीर में दौड़ रहे खून को दे सकता है? इसका जवाब शायद मंत्री के पास भी नही होगा.

वहीं मंत्री ने अपने सम्बोधन में कहा कि अपने कर्मों के चलते कांग्रेस ने अपना वजूद खो दिया है. मंत्री ने ये बात कहीं तो सही लेकिन उस वजूद को पाने के लिए फिलहाल किसी के पैर नही पकड़े। ये गौर करने वाली बात है. जबकि खुद मंत्री जी का खुद कितना वजूद बचा है ये मीडिया के माध्यम से सबने देखा और पुनः मंत्री पद भी मिला तो पैर पर गिरने के बाद। इसी क्रम में मंत्री ने काँग्रेस के अलावा बसपा और भाजपा को भी अपने निशाने पर रखा.



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