मुख्यमंत्री अखिलेश के इस जाँच दल को मिली जान से मारने की धमकी, सपा में मची खलबली
— June 25, 2016
उत्तर प्रदेश सरकार ने कैराना से लोगों की होने वाले पलायन की जाँच के लिए जिन पांच संतो की टीम को भेजा था. उन सभी संतो ने तो कैराना मामले की जाँच रिपोर्ट आखिलेश सरकार को सौंप दी है लेकिन इसके बाद अब इन संतो की जान पर बन आई है. बताया जा रहा है कि उन पांच संतो ने 3 संतों को एक अज्ञात व्यक्ति द्वारा जान से मरने की धमकी दी गई है. जिसके बाद से इन संतो की बिच डर का माहौल है.
जिसकी जानकारी मिलने के बाद गाजियाबाद स्टेशन पर दो संतों को सुरक्षा में लिया गया. फिलहाल पूर्ण सुरक्षा देते हुए पुलिस ने इन दो संतो को इनके घर तक पंहुचा दिया है. लेकिन फिर भी फोन पर धमकी मिलने से इस मामले को गंभीरता से लिया गया है और उस फ़ोन कॉल की डीटेल्स मालूम करने की कोशिश की जा रही है. ताकि इस संगीन हरकत करने वाले अपराधी तक पहुँचा जा सके. इसके अलावा धमकी पाने वाले संत भी इस बात की लिखित शिकायत पुलिस को देने वाले हैं.
बता दें कि यूपी के कैराना मामला काफी दिनों से सुर्खियों में बनी हुई है. यहां के स्थानीय बीजेपी सांसद हुकुम सिंह ने इस मामले को उठाया था. उन्होंने शुरुआत में कैराना में हो रहें पलायन को संप्रदायिक रूप देने की कोशिश करते हुए यह कहा था कि यहां से हिन्दुओं को पलायन हो रहा है. इसके लिए उन्होंने के संप्रदाय विशेष को निशाना बनाते हुए कहा था कि एक सम्प्रदाय के लोग हिन्दुओं के साथ आपत्तिजनक हरकत करते हैं.
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जिस कारण यहां के हिन्दू दुसरे शहरों में अपना बसेरा तलाश कर रहें हैं. साथ ही उन्होंने अपने पास पलायन करने वाले तमाम हिन्दुओं की लिस्ट होने की बात भी कही थी लेकिन उनके पास पाए गए में लिस्ट में कई धर्मो के लोगों के नाम शामिल थे जिसके बाद उन पर काफी उंगलियाँ भी उठी थी. हालांकि इस सच के सामने आने के बाद में हुकुम सिंह अपनि कही हुई बातों से पलट गए थें.
हुकुम सिंह के बाद बीजेपी के एक और विधायक संगीत सोम ने भी कैराना मामले को लेकर बखेड़ा खड़ा करने की कोशिश की थी लेकिन वे अपने मंसूबे में कामयाब नहीं हो सकें. इस तरह से कई बीजेपी नेताओं ने कैराना मामले को राजनीतिक तुल देने की तैयारी शुरू कर दिया था तब जाकर सपा सरकार ने इस मामले का सच जानने के लिए पांच संतो की टीम का गठन कर उस कैराना भेजा था.
जिसके बाद संतो गुरुवार को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को अपनी जाँच रिपोर्ट को सौंप दिया था और कहा था कि कैराना मामले के द्वारा सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने की खतरनाक साजिश की जा रही थी. जबकि इस जाँच टीम का नेतृत्व करने वाले आचार्य प्रमोद कृष्णन ने कहा था कि, ‘हमने गोपनीय रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंप दी है. कैराना घटना सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने की खतरनाक साजिश है, दोषियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए.’ बता दें कि संतो की पांच सदस्यीय टीम में आचार्य प्रमोद, स्वामी कल्याण, नरायण गिरि, स्वामी चिन्मयानंद और स्वामी चक्रपाणि शामिल थे.
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