कांग्रेस हाईकमान ने पीके को लगाई कड़ी फटकार, छोड़ सकते हैं पार्टी!


केंद्र में बीजेपी और बिहार में जदयू महांगठबंधन को सत्ता पर बिठाने वाले प्रशांत किशोर का सिक्का कोंग्रेस के लिए नहीं चल पा रहा है. बताया जा रहा है कि पीके की रणनीतियों पर कांग्रेस के कई नेताओं द्वारा अमल न करके उल्टा उसका विरोध किया जा रहा है. यूपी में कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता भी पीके के कामों को लेकर आपत्ति जता रहें है. बताया जा रहा है कि पीके ने प्रदेश में होने वाले आगामी विधान सभा चुनाव को लेकर पार्टी द्वारा टिकट बंटवारे के लिए अपनी के रणनीति तैयार की है. लेकिन इनके रणनीति से नाखुश नेताओं ने इस बात की बात की शिकायत पार्टी के हाईकमान से कर दी. जिसके बाद पार्टी हाईकमान ने भी पीके को कड़ी फटकार लगाते हुए यह निर्देश दिया है कि ‘आपको पार्टी के लिए चुनाव प्रचार की रणनीति बनाने का जिम्मा दिया गया है न कि उसके संगठन और टिकट बांटने को लेकर फैसला करने का.’


जबकि पीके ने यह प्लान पार्टी की जीत के सहूलियत के हिसाब से बनाया था. लेकिन इनके इस पांच सूत्री प्लान का पार्टी के कई नेताओं द्वारा समर्थन नहीं किया जा रहा है. प्रशांत चाहतें हैं कि यूपी में मुख्यमंत्री के पद के लिए किसी ब्राह्मण उम्मीदवार को खड़ा किया जाए. क्योंकि इससे कांग्रेस 13 परसेंट ब्राह्मण वोट को अपने पक्ष में कर सकती है. इसके साथ ही राजपूत और मुस्लिम वोट को भी टारगेट किया जा सकता है. जबकि दलित सिर्फ और सिर्फ मायावती को ही वोट देने वाले हैं. इसलिए प्रशांत का यह मानना है कि दलितों के पीछे भाग कर राहुल और पार्टी अपना किमती समय बर्बाद कर रहीं हैं. इसके अलावा इनका यह भी कहना है कि प्रियंका और राहुल की उत्तर प्रदेश चुनावों में सक्रिय भूमिका होनी चाहिए. जो कि पार्टी के लिए बहुत अच्छा रहेगा.

इस विषय पर सूत्रों का यह कहना है कि प्रशांत किशोर चाहते हैं कि पार्टी के तरफ उन्हें खुली छुट दी जाए. जैसा की बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार और लालू यादव ने उन्हें दिया था. लेकिन पार्टी में उनके विरोध के बाद ऐसा लगा रहा है कि उन्हें पार्टी के लिए काम करने में काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है. जिससे प्रशांत काफी आहत भी हुए है. इस मामले में जानकारों का कहना है कि अपने काम में कोई भी इतना विरोध बर्दाश्त नहीं कर सकता है. इसीलिए हो सकता है कि पीके पार्टी का साथ छोड़ भी दें. कयोंकि पीके कभी नहीं चाहेंगे की पिछली दो बड़ी सफलताओं को हासिल करने के बाद यूपी में कांग्रेस की हार का धब्बा उनके दामन में लगें.

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